
हर साल लाखों युवा “IAS बनकर देश सेवा” का सपना आँखों में सजाते हैं। लेकिन जैसे ही वे तैयारी शुरू करने का सोचते हैं, सामने आ जाता है मिथकों का एक तूफान — “16 घंटे पढ़ना ज़रूरी है”, “दिल्ली जाओ वरना कुछ नहीं होगा”, “IAS बनना तो किस्मत वालों का ही काम है”, और न जाने क्या-क्या! कुछ तो ऐसा प्रचार करते हैं मानो UPSC की परीक्षा नहीं, कैलाश पर्वत की चढ़ाई हो!
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ऐसे में ज़रूरत है इन अफवाहों को सिर के ऊपर से उड़ाकर, सच्चाई की ज़मीन पर उतरने की। हम उन्हीं लोकप्रिय लेकिन भ्रमित करने वाले मिथकों की परतें खोलेंगे, और बताएँगे कि इनका सच क्या है —ताकि तैयारी भी मज़ेदार लगे और समझ भी साफ़ हो।
तो आइए, सिविल सेवा परीक्षा के नाम पर फैली “लोककथाओं” की असली जांच-पड़ताल शुरू करते हैं!
IAS सबसे कठिन परीक्षा है, ब्रह्मा भी पास न कर पाएं!
अगर आपको ये बात सुनने के बाद डर लगने लगा है तो थोड़ी राहत लीजिए। UPSC कठिन है, लेकिन ब्रह्मांडीय कठिन नहीं। यह परीक्षा भी बाकी परीक्षाओं की तरह है — बस इसे पास करने के लिए आपको रजिस्टर खोलकर रोने के बजाय, रणनीति बनाकर पढ़ना होगा। ये 10 सिर वाला रावण नहीं है, बस तीन स्टेज वाला सिलेक्टिव दरवाज़ा है।
16-18 घंटे न पढ़े तो IAS के सपने में भी इंटरव्यू नहीं आएगा!
सच ये है कि कुछ लोग 6 घंटे में भी बाज़ी मार लेते हैं और कुछ 16 घंटे पढ़कर भी सिर्फ हाईलाइटर बदलते रह जाते हैं। UPSC आपकी गंभीरता, निरंतरता और समझदारी को परखता है, न कि आपकी आँखों के नीचे काले घेरे की गहराई को।
दिल्ली नहीं गए तो IAS बनने का सपना फुल-स्टॉप!
दिल्ली ज़रूर देश की राजधानी है, लेकिन IAS की तैयारी की राजधानी नहीं। आजकल ऑनलाइन कोर्स, नोट्स, टेस्ट सीरीज़, और YouTube आपके गाँव तक UPSC ले आए हैं। गाँव में बैठकर UPSC क्रैक करने वालों ने ये मिथक कब का तोड़ दिया है, बस अगला नाम आपका हो सकता है।
UPSC का पाठ्यक्रम महासागर है…सवाल पाठ्यक्रम से बाहर आते हैं!
असल में, UPSC स्मार्ट खिलाड़ी है — वो पाठ्यक्रम के दायरे में रहकर ही ऐसी बात पूछता है कि आप सोच में पड़ जाएँ कि ‘ये कहां लिखा था?’। सच्चाई ये है कि अगर आपने सिलेबस को ठीक से पढ़ा और करंट अफेयर्स से नज़दीकी रिश्ता बनाया, तो कोई भी सवाल “बाहर” का नहीं लगेगा।
लाखों लोग देते हैं परीक्षा, मैं क्यों पास होऊँ?
UPSC में जितने लोग फॉर्म भरते हैं, उनमें से ज़्यादातर एग्जाम सेंटर जाकर सेल्फी लेने आते हैं। असली प्रतिस्पर्धा करीब 8-10 हज़ार गंभीर उम्मीदवारों के बीच होती है। अगर आप रोज़ चार पेज नोट्स बना रहे हैं और मॉक टेस्ट की कॉफी पी रहे हैं — तो आप पहले से ही उस एलिट क्लब में हैं।
IAS बनना है तो किस्मत चाहिए, मेहनत तो सब करते हैं
अगर भाग्य से IAS बनते तो पंडितों के बच्चे टॉपर होते। UPSC में 99% मेहनत और 1% मौका लगता है — और वह मौका भी मेहनत वाले को ही मिलता है। किस्मत को मत कोसिए, PDF खोलिए और सिलेबस चाटिए।
वैकल्पिक विषय ऐसा चुनो जो छोटा हो और GS में काम आए
ऐसे लोग वैकल्पिक विषय ऐसे चुनते हैं जैसे फ़ोन का कवर — जो दिखे कूल, पर गिरने पर फोन टूट जाए! छोटा सिलेबस या GS से मेल खाने वाला विषय तब तक काम नहीं आएगा जब तक उसमें स्कोरिंग पोटेंशियल न हो। कम अंक वाला आसान विषय भी आपको मेरिट से बाहर फेंक सकता है।
अंग्रेज़ी मीडियम वालों को ज़्यादा नंबर मिलते हैं
हिंदी माध्यम वाले अगर ये मानकर चलें कि उनका स्कोर कम आता है, तो पहले ही खेल हार गए। सच्चाई ये है कि माध्यम नहीं, विषय की समझ, लेखन शैली और अभ्यास आपको सफल बनाता है। हिंदी माध्यम में भी कई टॉपर्स हुए हैं — हाथ में कलम हो, माथे पर मेहनत हो, तो भाषा दीवार नहीं, सीढ़ी बन जाती है।
IAS की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार होता है!
अगर ऐसा होता तो UPSC ऑफिस के बाहर सिफारिशी चिट्ठियों का अंबार लग चुका होता। सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे निष्पक्ष परीक्षाओं में से एक है। इसे पास करने के लिए केवल एक ही सिफारिश चलती है — आपका खुद का परिश्रम।
IAS की तैयारी भ्रम से नहीं, फोकस से होती है
IAS बनना एक सपना है, लेकिन इसमें डराने वाले मिथक नहीं, निर्णय लेने वाली रणनीति काम आती है। ये परीक्षा चाय की दुकान पर मिलने वाली सलाह से नहीं, शांत दिमाग और स्मार्ट वर्क से पास होती है।